
नवाजुद्दीन सिद्दीकी.
बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) ने कहा, ‘हम सब कुछ आदर्शों पर खरा देखना चाहते है, फिल्मों में भी आदर्शवाद चाहते हैं जिसमें नायक अंत में कुछ महान करे, लेकिन समाज में कुछ भी आदर्शवादी नहीं होता.
सुधीर मिश्रा (Sudhir Mishra) के निर्देशन में बनी यह फिल्म शुक्रवार को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. यह फिल्म लेखक मनु जोसफ के 2010 में आए उपन्यास ‘सीरियस मैन’ पर आधारित है. फिल्म में नवाज ने तमिलनाडु के दलित अय्यन मणि की भूमिका निभाई है, जो पीढ़ियों से लोगों पर ज्यादती का कारण बनी व्यवस्था को चुनौती देता है. इस फिल्म के जरिए जातिगत भेदभाव और उच्च वर्ग के विशेषाधिकारों पर प्रकाश डाला गया है.
फिल्म में बेहद आम व्यक्ति की कहानी है
‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ फेम एक्टर सिद्दीकी ने न्यूज एजेंसी से कहा कि, ‘यह बेहद आम व्यक्ति की कहानी है, जिसमें हर भारतीय की छवि दिखाई देती है. यह एक वास्तविक किरदार है, जिसमें सभी में पाए जाने वाली विशेषताएं भी हैं. यही वजह है कि इस भूमिका में अपनापन है. हालांकि इस फिल्म की कहानी में छिपी सच्चाई को पचा पाना मुश्किल है.’सिद्दीकी ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि अपने परिवार की भलाई के लिए व्यवस्था से लड़ने का मणि का तरीका ‘आदर्शवादी’ हो, क्योंकि उन्हें लगता है कि समाज आदर्शवाद पर चलता ही नहीं है.
समाज में कुछ भी आदर्शवादी नहीं होता
उन्होंने कहा, ‘हम सब कुछ आदर्शों पर खरा देखना चाहते है, यहां तक कि यह माना जाता है कि हमारी फिल्मों में भी आदर्शवाद हो, जिसमें नायक अंत में कुछ महान करे. लेकिन समाज में कुछ भी आदर्शवादी नहीं होता. यह फिल्म सच्चाई पर आधारित है. उपन्यास, फिल्म और किरदार बेहद स्थानीय हैं, फिर भी इसकी अपील वैश्विक है.’