चाहे तो चूम ले, तू ठोड़ी चांद की
एक चांद की कश्ती में, चल पार उतरना है
तू हल्के हल्के खेना, दरिया ना छलकेतू नील समंदर है, मैं रेत का साहिल हूं
आगोश में ले ले, मैं देर से प्यासी हूं
गुलज़ार की कलम से गुलज़ार हुआ ये एक बेहद ही मधुर गीत है. सिर्फ ऑडियो सुनें या सिर्फ वाचन करें, तो लगेगा कि गहरे प्रेम में डूबा हुआ शायर अपनी प्रेयसी से बहुत ही रूमानी अंदाज़ में मुखातिब है. कोई संगीतकार अगर इसे कंपोज़ करेगा, तो उसका अंदाज़े बयां भी शायर की भावनाओं की तरह ही होगा, होना भी चाहिए. शायर या गीतकार की लाइनें अपनी मंजि़ल खुद डिसाईड करती हैं और बताती हैं कि मेरे साथ संगीतकार को कैसे पेश आना चाहिए. ए आर रहमान अपने अज़ीज़ शायर से ऐसे ही रूमानी अंदाज़ में पेश आए और उन्होंने बहुत ही सुमधुर संगीत का चयन इसके लिए किया भी. ये अलग बात है कि संगीत की रचना पहले हुई थी ओर गीत बाद में लिखा गया. लेकिन इससे गीत की मधुरता पर कोई असर नहीं हुआ.इश्यु तब आया जब बारी इसके फिल्मांकन करने की आई. इस मूल्यवान गीत के साथ ऐसा कुछ किया गया, जो पहली नज़र में तो पूरी तरह गलत ही लगने वाला है बिलकुल विपरीत, कंट्रास्ट. आपको कैसा लगेगा जब आपको ये बताया जाए कि कि एक बेहद मधुर और रूमानी शायरी वाले गीत को एक आइटम नंबर के रूप में पेश किया जाने वाला है ? कोई भी इसे स्वीकार नहीं करेगा. लेकिन इस गाने के साथ ऐसा किया गया. डंके की चोट पर किया गया. अगर आप एक्टीविस्ट हैं तो इसे बे-झिझक रेप की श्रेणी में भी रख देंगे. जी रेप रचना के साथ भी हो सकता है, होता है. लेकिन ऐसा किया क्यों गया ? क्या रहा इस गीत के साथ ऐसे व्यवहार का परिणाम ? कैसा रहा क्लाईमेक्स ? आगे बताएंगे. अरे हां ये बताना तो भूल ही गए थे कि इसकी गायकी के लिए सात समंदर पार से एक बड़ी गायिका को बुलाया गया था. गायिका थीं – इजिप्शियन गायिका मरियम टोलर. फिर सरोज खान ने इसे अपने ही अंदाज़ में कोरियोग्राफ किया.
लाख टके का सवाल ये है कि गुलज़ार, रहमान और टोलर जैसे बड़े और प्रतिष्ठित नामों के साथ ऐसा दुस्साहस कर कौन सकता है? किसने किया था?
इस कारनामे को अंजाम दिया था मशहूर फिल्म निर्देशक मणि रत्नम ने. मणि ने सरोज खान को भी अपने अंदाज़ में कोरियोग्राफी करने की छूट तो दी ही, इस गाने को परफार्म करने के लिए मल्लिका शेरावत जैसी हॉट हीरोइन का चयन भी किया गया. जिसे मल्लिका ने भी अपने घोषित लटकों झटकों के साथ परफार्म किया. गीत में उनके साथ अभिषेक बच्चन थे.
इस तरह एक रूमानी गीत को पूरी योजना के साथ एक आइटम नंबर में बदल दिया गया . जी हां, हम बात कर रहे हैं 1907 में रिलीज़ हुई फिल्म गुरू के मशहूर सांग ‘मइया मइया’ की. इस बेहद खूबसूरत गीत ने आइटम नंबर्स की पुरानी थ्योरी को पूरी तरह तहस-नहस और नेस्तनाबूद कर दिया . इस आइटम नंबर ने लोकप्रियता की अप्रतिम ऊंचाईयां प्राप्त कीं . गीत ने साबित किया कि क्रिएशन की दुनिया किसी व्याकरण की मोहताज़ नहीं होती . निदा के लफ्ज़ों को दोहराएं तो कह सकते हैं –
‘तोड़ो-फेंको रखो करो कुछ भी दिल हमारा है क्या खिलौना है’
रिलीज़ होते ही यह आईटम सांग ना सिर्फ हिंदोस्तान, बल्कि पूरी दुनिया के श्रोताओं का पसंदीदा गीत बन गया और उनके दिलो दिमाग़ पर पूरी तरह छा गया . फिल्म के साउंडट्रेक के अलावा यह गीत 2009 में जारी प्रतिष्ठित एलबम ‘ए आर रहमान – ए वर्ल्ड म्युजि़क’ का भी पार्ट बना . यह सांग हिंदी के अलावा तमिल और तेलगु में भी जारी किया गया था.
ऐसा कमाल कोई जीनियस ही कर सकता है. इससे तो चार जीनियस क्रिएटर जुड़े थे. ऐसा लीक से हटकर, साहसी और अद्भुत प्रयोग गुलज़ार, मरियम, रहमान ओर मणिरत्नम ही कर सकते हैं. यह गीत न सिर्फ इनके लिए एक यादगार क्रिएशन बनकर सामने आया बल्कि सरोज खान के लिए भी यह कलेक्शन का पीस बन गया. मल्लिका शेरावत के लिए तो उसके केरियर का सबसे अच्छा आईटम सांग है ही.
इस फिल्मी सांग की क्रिएटिव यात्रा इसी की तरह बहुत रोचक और दिलचस्प है.
बात तब की है जब रहमान हज के लिए मक्का गए हुए थे . वहां उन्होंने पाया कि नदी के पास खड़ा होकर एक एक आदमी लगातार एक ही शब्द दोहरा रहा है ‘मोया मोया मोया’. मोया अरेबिक शब्द है जिसका अर्थ होता है पानी. रहमान के दिमाग़ में ये बात बैठ गई.
बाद में उन्होंने गुलज़ार से कहा कि ‘मोया-मोया’ को उनके द्वारा बनाई गई धुन के साथ मिलाकर एक गीत रचें . यह धुन रहमान ने अपने टोरंटो (कनाडा) दौरे के दौरान बनाई थी. इस तरह मइया मइया सामने आया. और फिल्म गुरू का हिस्सा बना . फिर रहमान ने व्यक्तिगत तौर पर इजिप्शन सिंगर मरियम को ‘मइया मइया’ के लिए ट्रेंड भी किया .
मरियम टोलर के साथ चिन्मयी श्रीपदा और कीर्ति सागरथिया ने भी इस गीत में अपनी आवाज़ दी है .
टोरंटो, कानाडा बेस Maryem Tollar काहिरा, मिस्र में जन्मी एक गायिका हैं जो मुख्य रूप से अरेबिक गाने गाती हैं. उनका Mernie नाम का बैंड है . अपने जन्म के एक साल बाद मरियम अपने पेरेंट्स के साथ कनाडा चली गई थीं. गीत मइया मइया के अलावा उनका ‘बुक ऑफ लाइफ’ नाम का एलबम भी मशहूर है.
चिन्मयी श्रीपदा एक भारतीय तमिल पार्श्वगायिका हैं जो मुख्य रूप से तमिल फिल्मों में ही गाती हैं. यदा कदा हिंदी गाने भी गाए हैं. मइया मइया के अलावा उन्होंने आतिफ असलम के साथ फिल्म फटा पोस्टर निकला हीरो में ‘मैं रंग शरबतों का, तू मीठे घाट का पानी’ जैसा अत्यंत सुमधुर गीत भी गाया है .
कीर्ति सागरथिया एक संगीतकार और गायक हैं. उनके पिता प्रसिद्ध गुजराती लोकगायक करसन सागरथिया के पुत्र हैं. उनकी पहचान 2005 में सोनी टीवी के रियलिटी शो फेम गुरूकुल में प्रतिभागी के रूप में भी रही है.
लेकिन गुलज़ार, मणि और रहमान की तिकड़ी के लिए कारनामा नया नहीं है. ऐसे शगूफे करने की उनकी लत पुरानी है. ऐसा ही सलूक ये तिकड़ी फिल्म दिल से के गीत छैंया, छैंया के साथ भी कर चुके हैं. ये गीत भी अगर आप सिर्फ आडियो सुनेंगे तो कतई नहीं लगेगा कि इस गीत का ऐसा फिल्मांकन भी हो सकता है?
अगर आपको ये आलेख पसंद आया तो अगली बार हम छैंया छैंया का भी इसी तरह पोस्टमार्टम करेंगे और इस तिकड़ी की ऐसी ही छिछालेदारी भी करेंगे. इस गाने का डिटेल में एनालिसेस तो करेंगे ही. तो तैयार रहिए कुछ और गानों को की दिलचस्प दास्तां भी आपको सुनने के लिए. अरे कहीं आप मइया मइया और छैंया छैंया में कोई लिंक तो नहीं ढूंढने लगे. चलिए ये काम आपके जिम्मे छोड़ा . कुछ मिले तो बताइएगा. (डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.)
शकील खानफिल्म और कला समीक्षक
फिल्म और कला समीक्षक तथा स्वतंत्र पत्रकार हैं. लेखक और निर्देशक हैं. एक फीचर फिल्म लिखी है. एक सीरियल सहित अनेक डाक्युमेंट्री और टेलीफिल्म्स लिखी और निर्देशित की हैं.