
एआर रहमान. (Photo: News18)
संगीतकार ए आर रहमान (AR Rahman) का कहना है कि संगीत की रचना उनके लिए एक आध्यात्मिक प्रक्रिया (Spiritual Process) है और संगीत बनाने के लिए अपनी अंतरात्मा एवं प्रकृति से जुड़ना बहुत महत्वपूर्ण है.
संगीत निर्देशक रहमान (53) ने कहा, ‘कला में आप जीवन में उच्च विचारों, उच्च प्रेरणाओं और उच्च वस्तुओं से प्रेरित होते हैं. यदि आप प्रकृति, किसी सार्वभौमिक भावना या चेतना से कुछ लेते हैं, तो आपके काम में महानता होती हैं. हमें अकसर छोटी बातों से प्रेरणा लेने के लिए मजबूर किया जाता है, लेकिन मुझे लगता है कि मेरा कार्य अधिकतर ‘अनंत प्रकृति’ से प्रेरित होता है.’
ऑस्कर और ग्रेमी समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने नाम कर चुके रहमान ने ‘पीटीआई भाषा’ को ‘जूम’ पर दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मैं स्वयं को हमारे चारों ओर की अफरा-तफरी से दूर रखने की कोशिश करता हूं.’ रहमान ने कहा कि वह फिल्म उद्योग में लोगों के विभिन्न नजरियों का सम्मान करते हैं, क्योंकि उन सभी का साझा लक्ष्य लोगों को खुश करना है.
संगीतकार रहमान ने 1992 में मणिरत्नम की फिल्म ‘रोजा’ के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने ‘बॉम्बे’, ‘रंगीला’, ‘दौड़’, ‘दिल से’, ‘ताल’, ‘लगान’, ‘साथिया’, ‘स्वदेश’, ‘युवा’, ‘रंग दे बसंती’ और ‘रॉकस्टार’ जैसी फिल्मों में यादगार संगीत दिया.रहमान ने कहा कि वह हमेशा ऐसे संगीत की रचना करना चाहते हैं, जिससे सभी आयुवर्ग, लिंग, जाति और वर्ग के लोग जुड़ाव महसूस कर सकें. एक साधारण लड़के से विश्व के लोकप्रिय संगीतकार बनने तक की रहमान की जीवन यात्रा को नेशनल जियोग्राफिक के ‘मेगा आइकन्स’ के दूसरे संस्करण की तीसरी कड़ी में दिखाया जाएगा. इसकी शुरूआत रविवार को हो रही है.
रहमान ने कहा कि उन्हें इससे पहले भी उनके जीवन पर आधारित फिल्म या कार्यक्रम बनाने के कई प्रस्ताव मिले थे, जिन्हें उन्होंने खारिज कर दिया था, लेकिन गुणवत्ता के लिहाज से उन्हें नेशनल जियोग्राफिक का प्रस्ताव अच्छा लगा और उन्होंने इसके लिए हामी भर दी.